यमदंष्ट्रा योग

वैद्यक के अनुसार आश्विन, कार्तिक, और अगहन के लगभग का कुछ विशिष्ट काल, जिसमें रोग और मृत्यु आदि का विशेष भय रहता है और जिसमें अल्प भोजन तथा विशेष संयम आदि का विधान है। 
कुछ लोगों के मत से यह समय कार्तिक के अंतिम आठ दिनों और अगहन के आरंभिक आठ दिनों का है; और कुछ लोगों के मत से आश्विन के अंतिम आठ दिन और पूरा कार्तिक मास इसके अंतर्गत है।

यमदंष्ट्रा योग- वार और नक्षत्र के संयोग से बनता है यमदंष्ट्रा योग 
रविवार को मघा और धनिष्ठा, 
सोमवार को मूल और विशाखा, 
मंगलवार  को भरणी और कृतिका , 
बुधवार  को पुनर्वसु और रेवती ,
गुरूवार  को अश्विनी और उत्तराषाढा, 
शुक्रवार  को रोहिणी और अनुराधा , 
तथा 

शनिवार को श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र होने पर अत्यंत पीड़ादायक योग यमदंष्ट्रा योग बनता है